1. जन्म कथा
भगवान गणेश माता पार्वती के पुत्र हैं। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने उन्हें मिट्टी से बनाया और प्राण फूंक दिए। उन्होंने गणेश जी को द्वारपाल बनाया, लेकिन जब भगवान शिव लौटे और गणेश जी ने उन्हें भीतर जाने से रोका, तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर उनका सिर काट दिया। बाद में माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर लाकर गणेश जी को नया जीवन दिया।
2. परिवार
पिता: भगवान शिव माता: देवी पार्वती भाई: कार्तिकेय वाहन: मूषक (चूहा) पत्नी: रिद्धि और सिद्धि पुत्र: शुभ और लाभ।
3. स्वरूप और प्रतीक
हाथी का सिर:- ज्ञान, विवेक और बौद्धिक शक्ति का प्रतीकबड़ा
पेट:- हर चीज को स्वीकार करने की क्षमताचार
भुजाएं:- शक्ति और सुरक्षाएक
दांत:- एकाग्रता और बलिदान का प्रतीकमूषक
वाहन:- इच्छाओं पर नियंत्रण।
4. गणेश जी के 12 प्रमुख नाम (द्वादश नाम)
(1). सुमुख (2). एकदंत (3). कपिल (4). गजकर्णक (5). लंबोदर (6). विकट (7). विघ्नराज (8). धूम्रवर्ण (9). गणाध्यक्ष (10). भालचंद्र (11). गजानन (12). विनायकइन नामों का स्मरण करने से विघ्न दूर होते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
5. गणेश जी की पूजा क्यों खास है?किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणपति पूजन से होती है।उन्हें “प्रथम पूज्य” कहा जाता है यानी पहले पूजे जाने वाले देवता।उनकी पूजा से बुद्धि, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
6. गणेश जी और तुलसी की कथाएक बार माता तुलसी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन गणेश जी ने इंकार कर दिया। क्रोधित होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाह होने का श्राप दे दिया। तब गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया कि तुम विवाह नहीं कर पाओगी और यहीं से तुलसी को देवी के रूप में पूजा जाने लगा, लेकिन गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित हो गया।
7. लिखे थे महाभारत के लेखकजब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने का निश्चय किया, तो भगवान गणेश को लेखक के रूप में चुना। शर्त यह थी कि गणेश जी बिना रुके लिखेंगे और वेदव्यास जी बिना रुके बोलेंगे। एक समय पर जब कलम टूट गई, तो गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़कर लेखन जारी रखा। इसलिए उन्हें “एकदंत” भी कहा जाता है।
8. गणेश जी के प्रिय भोगमोदक: उनका सबसे प्रिय मिष्ठान्न है।लड्डू: पूजा में अक्सर लड्डू अर्पित किए जाते हैं।दूर्वा घास: तीन या पाँच पत्तियों वाली दूर्वा बहुत प्रिय होती है।सिंदूर: गणेश जी को सिंदूर बहुत पसंद है, इसलिए उनकी मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाया जाता है।
9. गणेश चतुर्थी का उत्सवमहाराष्ट्र और भारत के कई हिस्सों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।लोग गणेश जी की मूर्ति घर लाते हैं, पूजा करते हैं और 10 दिन बाद विसर्जन करते हैं।नारे लगते हैं:”गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”
10. गणेश जी का प्रतीकात्मक संदेशबड़ा सिर: बड़ा सोचोछोटे नेत्र: गहराई से देखोबड़े कान: सबकी सुनोछोटी आंखें: फोकस रखोमूषक (चूहा): मन की इच्छाओं को वश में रखोएक दांत: हर कार्य के लिए बलिदान जरूरी है
भगवान गणेश की पूजा करते समय वस्त्र (कपड़े) का भी विशेष महत्व होता है। पूजा में उपयोग किए जाने वाले वस्त्र न केवल शुद्ध और साफ होने चाहिए, बल्कि उनका रंग और प्रकार भी विशेष फल प्रदान करते हैं। नीचे भगवान गणेश को पहनाने वाले वस्त्र और उनके महत्व के बारे में बताया गया है:
गणेश जी के लिए उपयुक्त वस्त्र (कपड़े)
(क) लाल रंग का वस्त्र :- महत्व: शक्ति, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक।कब उपयोग करें: शुभ कार्यों, नए काम की शुरुआत या गणेश चतुर्थी के समय। उदाहरण: लाल पटका, रेशमी कपड़ा, चोला या धोती।
(ख) पीला रंग का वस्त्र :- महत्व: बुद्धि, ज्ञान और शुभता का प्रतीक।कब उपयोग करें: विद्यार्थियों, नौकरी, परीक्षा, और मानसिक शांति के लिए पूजा में। उदाहरण: पीला रेशमी वस्त्र या हल्दी से रंगा हुआ कपड़ा।
(ग) हरा रंग का वस्त्र:महत्व :- उन्नति, शांति और प्रकृति का प्रतीक।कब उपयोग करें: घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए। उदाहरण: हरे रंग का अंगवस्त्र या साफ सादा कपड़ा।
(घ) सफेद रंग का वस्त्र:महत्व :- शुद्धता, भक्ति और शांति का प्रतीक।कब उपयोग करें: मानसिक शांति, ध्यान और भक्ति के लिए की जाने वाली पूजा में। उदाहरण: सफेद सूती वस्त्र, वस्त्र पर सिंदूर या चंदन लगाया जा सकता है।